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उठी है हूक / रश्मि विभा त्रिपाठी

1
करना प्यार
आऊँ जो दुनिया में
अगली बार।
2
मुझपे आई
आफत तो तुम्हीं ने
दुआ मनाई।
3
साथ हो खड़े
मेरे लिए तुम तो
सबसे बड़े!
4
तुम हो पास
अब कुछ भी नहीं
मुझको आस।
5
अब आया है
मेरा अच्छा समय
तुम्हें पाया है।
6
मुझको वह
मिला तबसे मेरे
बदले ग्रह।
7
उठी है हूक
क्या यादों का संदूक
तूने खोला है!
8
पुलकित मैं?
तुम सोचते सदा
मेरे हित में।
9
तुम्हीं ने ताना
मेरे लिए दुआ का
ये शामियाना।
10
प्यार की धुन
 छेड़ मिटाए तूने
अपशकुन।
11
पीड़ा पड़ी है
प्रेम की परिभाषा
तूने गढ़ी है।
-0-