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उम्मीद / रंजना जायसवाल
Kavita Kosh से
फड़कती है
बाईं आँख
खुजलाती है
हथेली
हाथ से
छूट जाता है
पानी का बरतन
आती है हिचकी
बार - बार
और हर बार
नहीं छूटती
तुम्हारे आने की
उम्मीद...।