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उसके भाग से / हरीशचन्द्र पाण्डे
Kavita Kosh से
वह ख़ाली तसला लिये खड़ी थी सड़क किनारे
ये भैसों का उधर से गुज़रने का समय था
इस समय जब राजधानी में एक ग्लोबल टेंडर खुलते ही वाला है
उसे समेटना है ताज़ा गोबर
हालाँकि ताजे़ से उसका उतना लेना-देना नहीं
जितना इस आशंका से कि इस बीच कोई दूसरा न आ जाये
और फिर छोकरे तो झुंड-के-झुंड घूमते रहते हैं
भैंसों के पीछे-पीछे
एक आवाज़ आयी
और चैतन्य हुई वह
भरपूर गिरा था उसके भाग से
वह दौड़ने को हुई
या फिर एक आती कार को देख ठिठक गयी
उसे गुज़र जाने देने के लिए...
उसने फिर दायें-दायें देखा, कोई छोकरा आ तो नहीं रहा दौड़ते
उसने फिर देखा
गोबर के ठीक ऊपर से गुज़र गया है कार का पहिया
एकदम नयी डिज़ायन बनाता...