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उसने कहा / सुनीता शानू
Kavita Kosh से
उसने कहा दर्द बहुत है
जाने क्यों मैं भी
कराहती रही
न सोई न जागी
रात भर
दर्द को सहलाती रही
उसने कहा
ये दर्द
उसका अपना हो गया है
साथ सोता है
जागता है रात भर
मुझसे अधिक वही
रहता है उसके खयालों मे
हाँ ये दर्द
लगता है
अपनी हद पार कर गया
मेरी तमाम कोशिशें
मुझे मुँह चिढाती रही
बेदर्द तो है दर्द
बेवफ़ा भी हो जाता-काश- !
छटपटाता, करवट बदलता
जाने कैसे-कैसे मन को
मनाती रही
किन्तु
बहुत मुश्किल है दर्द का
बेवफ़ा हो जाना।