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उसने ज़िन्दगी दी तोहफ़े में मुझे / वेरा पावलोवा

उसने ज़िन्दगी दी
तोहफ़े में मुझे ।

मैं क्या दे सकती हूँ
बदले में उसे ?

अपनी कविताएँ
कुछ और है भी तो नहीं मेरे पास ।

लेकिन क्या
सचमुच वे हैं मेरी ही ?

वैसे ही जैसे बचपन में
माँ के जन्मदिन पर देने के लिए
मैं चुना करती थी कोई कार्ड
और क़ीमत चुकाती थी पिता के पैसों से ।

क्या मेरी कवितायेँ सचमुच हैं मेरी ही ?

अँग्रेज़ी से अनुवाद : मनोज पटेल