उसने फिर नम्बर बदल दिया / श्रीप्रकाश शुक्ल
उसने फिर नम्बर बदल दिया
और दोस्तों को एस० एम० एस० कर दिया कि अब पुराने नम्बर को समाप्त हुआ
समझा जाय
अब यही चलेगा मेरा नम्बर
यह हरकतें अब वह अक्सर ही किया करता है
अक्सर ही लोंगों को संदेश देकर बंद कर देता है पुराना नम्बर
जैसे सुबह की हवा उसके घर में ऐसे ही आती है
पिछले को खाती हुई ।
उसे किसी भी स्थायित्व से नफ़रत है
वह नहीं चाहता कि एक ही नम्बर से वह चिपका रहे
सुनता रहे एक ही टोन बार-बार
और लोग उसे दीर्घकालिक अपेक्षाओं के दायरें में परेशान करते रहें
उसे हमेशा ही चिंता रहती है नई योजनाओं की, नई तारीखों की, नई छवियों की
नई से नई वस्तुओं की अब उसे आदत पड़ चुकी है
वह हर नए को देखता है पहली बार
एक नए जन्म की तरह !
हर नए को वह अपनी गठरी में लादे ले आता है घर में
और रात के अँधेरे में फैला देता है पृथ्वी पर
कल की रोशनी के लिए ।
अब वह इसी तरह पहचानता है अपने मनुष्य को
और थोड़ा और मनुष्य होने की ज़िद में बदलता रहता है अपना नम्बर
गोया बदलते रहना ही नए ज़माने की एक बड़ी कृतज्ञता हो !
नए से नए से नएपन की चाहत में
बहुत कुछ छूटता जा रहा है पुराना
पुरानी बातें, पुरानी यादें, पुरानी धुनें, पुराने लोग
पुरखे भी पुराने से पुराने होते जा रहे हैं ।
हर क्षण बदल रही है दुनिया
हर क्षण बदल रहा है मौसम
हर क्षण बदल रहे हैं लोग
और हर क्षण बदल रहा वह नम्बर
जिसने नम्बर लेने से इंकार कर दिया था
एक दिन !
उसने फिर नम्बर बदल दिया
(15.09.2011)