Last modified on 3 जुलाई 2010, at 03:18

उस चित्र को / ओम पुरोहित ‘कागद’

गांव में आया था
उड़ कर कहीं से
अखबार का एक पन्ना
बूढ़ी काकी ने
जिसे चाहा था बांचना
तब तक सब पढ़ लिया था
भाखड़ा बांध के
उस चित्र को
टळका कर आंसू
तहा कर रख लिया था
ऊंडी गोझ में ।