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ऊँघना / अब्बास कियारोस्तमी
Kavita Kosh से
सोने
और जागने के बीच
जब
ऊँघ रहा
होता हूँ मैं
मैं
याद करता हूँ
सोमवार सुबह का
अपनी मुलाक़ातों का कार्यक्रम
रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय