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एकान्त / उंगारेत्ती
Kavita Kosh से
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लेकिन मेरी चीखें
तूफ़ान की तरह झपटती हैं
आकाश की कातर कन्दरा पर
और लौट पड़ती हैं
दहली हुई...
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लेकिन मेरी चीखें
तूफ़ान की तरह झपटती हैं
आकाश की कातर कन्दरा पर
और लौट पड़ती हैं
दहली हुई...