भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

एक कविता लिखना चाहता हूँ / प्रयाग शुक्ल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

एक कविता लिखना चाहता हूँ

हो रही है शाम ।
डूबने वाले हैं अंधेरे में पेड़ ।
इमारतों के ओर-छोर ।
घर जाना चाहती हैं चिड़ियाँ ।
एक सन्नाटा है यहाँ ।
खाली पड़ी हैं बगीचे की कुर्सियाँ ।

आ रही हैं घरों से
आवाज़ें मिली-जुली ।

आकाश फ़िर लौट आया है अपने में ।

एक कविता लिखना चाहता हूँ ।