भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
एक छोटी-सी ख़बर / पूनम तुषामड़
Kavita Kosh से
दो और मर गए
सीवर में दम घुटकर
डूबकर
तुम्हारे घरों से निकलती
नालियों से बहती
सड़ती, बजबजाती
गंदगी का बन गए
हिस्सा।
और....अखबार के एक कोने से
झांकती एक छोटी-सी खबर!