भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

एक दिन / रेणु हुसैन

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


उसने जन्म लिया
उसने बुरका पहना
उसने सीमा बाँधी

एक दिन
उसकी शादी हो गई
उसने बात मानी
उसने घर बनाया

फिर एक दिन
जाने क्या हुआ
जाने क्यूँ
उसे मिल गई दुनिया से मुक्ति