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एक दुर्घटना के बाद / नरेश अग्रवाल
Kavita Kosh से
अनाज के दाने निकाल लेने के बाद
हल्की हो जाती हैं फसलें
बचा-खुचा मवेशियों के लिए या आग तपने के लिए,
सूरज के डूब जाने के बाद
नष्ट हो जाता है रंग किसी भी भूखंड के
तापमान गिरा और कठिन हो गयी सर्दभरी रात।
इस रात की तहस-नहस भरी जिन्दगी में
कहां पर ठौर मिल सकती है,
मालूम नहीं है उन्हें
वे अकेले नहीं हैं, वे बहुत सारे लोग हैं एक साथ
जो अभी-अभी यहां पहुंचे हैं
उन्हें न तालाब की चिन्ता है न ही पेड़ देखने का मन,
सब की एक ही चिंता है
कि अगर उनकी खुशियां बचेंगी भी तो
न जाने वे किसी तरह की होंगी।