भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

एक नज़्म / शहनाज़ इमरानी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तुम्हारे स्वागत में फूल कम पड़ गए हैं
बादलों ने बरसने का प्रोग्राम बदल दिया है
आओ हम ज़िन्दगी की बातें करें
में तुम्हारे साथ बातें करते हुए हँसना चाहती हूँ
हम डट कर उम्दा खाना खाएँगे
और कॉफ़ी भी पिएँगे
इसके बाद तुम मुझे मार देना
अगर तुम यह मौक़ा चूक गए तो
मैं तुम्हें मार दूँगी
माफ़ी चाहती हूँ दोस्त
यही तो हमारा दस्तूर है।