बाम-ओ-दर ख़ामशी के बोझ से चूर
आसमानों से जू-ए-दर्द रवां
चांद का दुख-भरा फ़साना-ए-नूर
शाहराहों की ख़ाक में गलतां
ख्वाबगाहों में नीम-तारीकी
मुज़महल लय रुबाबे-हसती को
हल्के-हल्के सुरों में नौहा कुनां
बाम-ओ-दर ख़ामशी के बोझ से चूर
आसमानों से जू-ए-दर्द रवां
चांद का दुख-भरा फ़साना-ए-नूर
शाहराहों की ख़ाक में गलतां
ख्वाबगाहों में नीम-तारीकी
मुज़महल लय रुबाबे-हसती को
हल्के-हल्के सुरों में नौहा कुनां