अँधियारे जीवन-नभ में 
बिजुरी-सी चमक गयीं तुम ! 
 
सावन झूला झूला जब 
बाँहों में रमक गयीं तुम ! 
कजली बाहर गूँजी जब 
श्रुति-स्वर-सी गमक गयीं तुम ! 
महकी गंध त्रियामा जब 
पायल-सी झमक गयीं तुम ! 
तुलसी-चौरे पर आ कर 
अलबेली छमक गयीं तुम ! 
सूने घर-आँगन में आ 
दीपक-सी दमक गयीं तुम !