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एक ही तो / जय गोस्वामी / रामशंकर द्विवेदी
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तुम इस बरामदे के किनारे
खड़ी होकर साँस लो
एक ही बरामदे में
मैं भी तो साँस लेता हूँ
एक ही वातास तो
दोनों लोगों की छाती भर देती है
एक ही तो, एक ही तो,
बताओ —
तो फिर क्यों दो जने
अलग-अलग रहेंगे
लोगों के भय से डरकर ?
मूल बाँगला भाषा से अनुवाद : रामशंकर द्विवेदी