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एक हो कुवो / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
एक हो कुवो,
एक ही तळाई,
आपस में बात करी -
बैन’र भाई ,
पाणी तो एक सो
फेर फरक कांईं ?
बाँरी, एक नै ‘सुण’ र एक पिणयारी आई
बोली, एक नै चाहीजै लाम्बी सी लाव,
दूजी नै थोड़ी सी लुळताई !