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एखन मन गुजरात / गंगेश गुंजन

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ई केहन आगि
ई कोन औजार
खापड़ि पर केहन लीखि रहल छथि
हिंसक लिपिमे शिलालेख ?
ककर रहतैक दसखत ?
कालकें किछु नहि रहैत छैक
आँखि हृदय बुद्धि-विवेक आ बाट तें ओ
सोझाँक समाजसँ लैए
समाज मनुक्खक होइत छैक
लेख पर के करतैक दसखत ?
कोन कलमसँ, कोन लिपिमे कत’ ?
खापड़ि नी प्रेम तँ टिकए नहि
घृणा बिनु लिखनहुँ उजागर
तकर वाहन हिंसा-
हिंसाक सोझाँ की गर्भस्थ शिशु,
की स्त्री, बूढ़, पुरूष, जुआन,
हिन्दू-मुसलमान क्रिस्तान
आगि सभटा भस्म करैत छैक
घृणाक परम योद्धा सन्तान-प्रतिशोध
आगिक खेलमे धधकैत रहैए।
टहलि क’ कोन दलान-आंगनमे चलि आओत
कहल नहि जा सकैए।
अंदाजे टा कएल जा सकैए
रहल जा सकैए साकांक्ष
गाम टोलक लोकसँ कुशल क्षेमक सतत् रहए संवाद
मनुक्खक रहए ध्यान
घास नै चर’ चलि जाए विचार।
देखब।