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एन. एच-80 / त्रिलोकीनाथ दिवाकर

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नैं मानबें त‘ चल गे सजनी
पकड़ी एन.एच.अस्सी क‘
कहलगाँव के रसकदम खिलैबौ
पकड़ें गाड़ी कस्सी क‘।

रसता भर उड़ै छै गरदा
पिन्हें कोनो साड़ी गे
घोघा शाहपुर के किशन बाबू
देतौ गरदा झाड़ी गे
चिन्है जाँव नै पारतौ तोरा
की करबें तरमस्सी क‘..
कहलगाँव के रसकदम खिलैबौ
पकड़ें गाड़ी कस्सी क‘।

दोल दोलिच्चा खेलने जैबै
ब्रेको पर गोड़ो धरनें गे
बड़का खद्धा छोटका खद्धा
झरी ने छै भरने गे
उल्टी जॉव तों काँही गेलें
लोग उठैतौ हस्सी क‘
कहलगाँव के रसकदम खिलैबौ
पकड़ें गाड़ी कस्सी क‘।

रोड़ो के हालत छै खस्ता
कत्ते के गेलै जान गे
देखी क‘ आन्हरो छै बनलो
सरकारो अंर्तघ्यान गे
गोसाँय घरो में माथा ठोकी
भसम लगाबै घस्सी के‘
कहलगाँव के रसकदम खिलैबौ।
पकड़ें गाड़ी कस्सी क‘