एक मुलाक़ात
थोड़ी-सी बात
बस कुछ हालचाल
कहना सुनना पूछना बताना
सुबह शाम का आना-जाना
भोर के गीत चन्द्रमा से सुनकर
जैसे के तैसे तुम्हें सुनाना
बगिया में कितने फूल खिले
कितने बीजों में अंकुर फूटे
गिन-गिन कर तुम्हें बताना
ऐसी मैं
सदा फ़िक्रमन्द
और
बुलाने पर भी न आना
बिना बताए चले जाना
नख से शिख तक
बिखरे उलझे अव्यवस्थित
बेपरवाह बेतरतीब अनजान
ऐसे तुम
बहुत बुरे