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और इसलिए भी... / विनोद शर्मा
Kavita Kosh से
हर क्षण
कहीं न कहीं
कोई न कोई
तुम्हें पुकार रहा है-
मदद के लिए
सुनो!
उसकी पुकार सुनो
क्योंकि इन्सानियत कायही तकाजा है
और इसलिए भी
कि ताकि कभी जब तुम्हें
किसी की मदद की जरूरत पड़े
तो तुम भी
पुकार सको किसी को
बिना किसी अपराध-बोध के।