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औ आदमी म्हनै रो अखबार लखावै / सांवर दइया
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औ आदमी म्हनै रो अखबार लखावै
दो घड़ी नुंवो पछै बेकार लखावै
रीसां बळती लाधी भोर-सिंझ्या म्हनै
दोनां बिच्चै हुई आज तकरार लखावै
सोध-सोध हार्या पण लाध्यो कोनी
औ सुख छोरो जुगां सूं फरार लखावै
भींतां कानी देख डुसका भरै टाबर
ऐ घर-आंगणा आज बीमार लखावै
कुण जाणै किण घड़ी आ जावै तगादो
आ सांस लियोड़ी म्हनै उधार लखावै