सात समंदर गोपी चंदर
बोल म्हारी मछली
कितरो पाणी?
जोव म्हारी मछली
कठै गयो पाणी?
मछली कर दी गाणी-माणी
ना कीं आणी, ना कीं जाणी
उतरग्यो पाणी
रैयगी कहाणी
कांई बताऊं
कितरो पाणी
कठै गयो पाणी!
सोसण सारू
सगळा त्यार
गरीब री जबान रो पाणी
किरसै री आस रो पाणी
सूकग्यो मनड़ो
नीं रैयो आंख में ई पाणी
कांई बताऊं
कठै गयो पाणी!
ना कीं आणी, ना कीं जाणी
उतरग्यो पाणी
गमग्यो पाणी
पाणी री कदर कुण जाणी
धोळा गाभा री कड़प में
खपग्यो पाणी
स्वीमिंगपूल रै मांय
झीणै कपड़ा
लाजां मरगयो पाणी
ना कीं आणी, ना कीं जाणी
कांई बताऊं
कठै गयो पाणी!
मिनख मरया जद धरम रै नांव
दामिनी सागै जड़ होयग्यो पाणी
ना कीं आणी, ना कीं जाणी
कांई बताऊं
कठै गयो पाणी!
रैयगी कहाणी
उतरग्यो पाणी!