जब 
कागज़ नहीं था
लिखा करते थे
अपनी आवाज़
पेड़ों के 
पत्तों पर 
आज 
हर पन्ने में से 
कटे जंगलों की
चीख सुनाई देती हैं .
जब 
कागज़ नहीं था
लिखा करते थे
अपनी आवाज़
पेड़ों के 
पत्तों पर 
आज 
हर पन्ने में से 
कटे जंगलों की
चीख सुनाई देती हैं .