भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कविता / मणिका दास

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दरवाज़े पर
दस्तक हुई
दरवाज़ा खोल दिया

भीतर आई
एक मुट्ठी सुनहरे
तिनके लेकर

मेरे प्राणों की
एक चिड़िया

मूल असमिया से अनुवाद : दिनकर कुमार