Last modified on 11 नवम्बर 2018, at 20:49

कविता की आत्मकथा / रमेश क्षितिज / राजकुमार श्रेष्ठ

लिखता तो मैं ख़ुद हूँ अपने हाथ से
पर कौन सिखाता है मुझे कविता ?
कौन देता है नवीन और अक्षत बिम्ब ?
कौन देता है एक मौन और अर्थपूर्ण भाषा ?

कविता में विचार या कला ?
कविता में सरलता या दुरुहता ?
कविता में लोकप्रियता या स्तरीयता ?
यह कोई भी सवाल मेरे लिए सवाल ही नहीं है.

उलझना नहीं चाहता मैं किसी भी अनर्थों से
मैं तो सच्ची कविता लिखना चाहता हूँ
पूर्ण कविता, सम्पूर्ण कविता
और असल में कविता इन्सान जैसी होनी चाहिए
एकदम रहस्यमयी, स्वप्नदर्शी,
कोमल, भावुक और संघर्षशील

अपने प्रिय पाठकों को साक्षी मानकर
                    कहता हूँ कि कविता मेरा पहला प्यार है
और यही है मेरी कविता की आत्मकथा

मूल नेपाली भाषा से अनुवाद : राजकुमार श्रेष्ठ