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कहाँ गए हो छोड़कर / पीयूष कुमार द्विवेदी 'पूतू'

कहाँ गए हो छोड़कर, आती हर पल याद।
घर का हर कोना हुआ, यादों से आबाद।

चीख रहा है बैठका, रोती चौकी रिक्त।
टिकी छड़ी दीवार से, देख नैन हों सिक्त।
बेल वेदना उर बढ़े, मिले विरह की खाद।
कहाँ गए हो छोड़कर, आती हर पल याद॥

सदा बड़ों को मान दो, अरु छोटों को प्यार।
जीवन में हो सादगी, ऊँँचे रखो विचार।
यही सिखाया आपने, समय न कर बर्बाद।
कहाँ गए हो छोड़कर, आती हर पल याद॥

धूल किताबें फाँकतीं, अलमारी में मौन।
तितर-बितर टेबल पड़ा, उसे सजाए कौन।
तुम बिन दिखती गाय की, तबीयत है नाशाद।
कहाँ गए हो छोड़कर, आती हर पल याद॥