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कहाँ रे हरदी, कहाँ रे हरदी / छत्तीसगढ़ी
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♦ रचनाकार: अज्ञात
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कहाँ रे हरदी, कहाँ रे हरदी
भई तोर जनामन, भई तोर जनामन
कहाँ रे लिए अवतार
मरार बारी, मरार बारी
दीदी मोर जनामन, दीदी मोर जनामन
बनिया दुकाने दीदी लिएँव अवतार
कहाँ रे पर्रा, कहाँ रे पर्रा
भई तोर जनामन, भई तोर जनामन
कहाँ रे पर्रा तैं लिए अवतार
सिया पहार ऐ, सिया पहार ऐ
दीदी मोर जनामन, दीदी मोर जनामन
कँड़रा के घरे मैं लिएँव अवतार