भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
क़ैदी के पत्र - 7 / नाज़िम हिक़मत
Kavita Kosh से
हमारा बेटा बीमार है
उसका पिता क़ैदी है
तुम अपना भारी सिर थके हाथों में रखे पड़ी हो
हम और अपनी यह दुनिया एक ही केन्द्र पर आ पहुँचे हैं।
मनुज ही मनुज के लिए,
बुरे और अच्छे दिन लाएँगे।
हमारा बेटा चंगा हो जाएगा
उसका पिता जेल से बाहर निकल आएगा।
और तुम्हारी सुनहली आँखों में मुस्कुराहट भर जाएगी,
हम और अपनी यह दुनिया एक ही केन्द्र पर आ पहुँचे हैं।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : चन्द्रबली सिंह