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क़ैद / पूनम तुषामड़
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और कितनी चिनोगे
तुम दीवारें
मुझे क़ैद करके ।
मैं सेंध लगा दूँगी
हर दीवार में
बना दूँगी मार्ग
अपनी मुक्ति का ।
ग़र्क कर दूँगी
हर दर-औ-दीवार को
दीमक बन कर
कब तक रखोगे
तुम मुझको
रास्तों से बेख़बर
मैं हर रास्ते को
मंज़िल में बदल डालूँगी ।