पँवारी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
कारा खेत मऽ समदन खऽ पटको, लश्कर केत्ताक दूर।
ते रहियो साजन मन्दो बारो रे
हरी-हरी चोच को हरो-हरो मुरगा
पानी पेनऽ (पिवन) खऽ नद्दी नरबदा।।
कारा खेत मऽ समदन खऽ पटको, लश्कर केत्ताक दूर।
ते रहियो साजन मन्दो बारो रे
हरी-हरी चोच को हरो-हरो मुरगा
पानी पेनऽ (पिवन) खऽ नद्दी नरबदा।।