भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कालाजादू / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

एक दिन
सुग्गा नें
सुग्गी सें कहलकै
पहलेॅ यहां कल्पतरू पेड़ रहै
आरो रहै कामधेनू गाय
एक दिन आदमी ओकरो देख लेलकै
तहिये सें
नै ऊ कामधेनु गाय, नै ऊ गाछ छै।