हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
काला बहल जुड़ाइयां मैं थलस तलै नै आइयां
क्यों कर जीऊं काले कै ब्याह दइयां
काला घर मैं बड़ियां ये कड़ी करंजै पड़ियां
क्यों कर जीऊं काले कै ब्याह दइयां
भूरा बहल जुड़ाइयां मैं झट दै बेहल मैं आइयां
क्यों कर जीऊं काले कै ब्याह दइयां
भूरा घर मैं बड़ियां सत्तर दीवे बलियां
काले के दो जाये जणों भूंड गिरड़ ते आये
क्यों कर जीऊं काले कै ब्याह दइयां
भूरे कै दो जाये जणो चांद सूरज दो आये
क्यों कर जीऊं काले कै ब्याह दइयां