बघेली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
काहे का सेयों हरदी का बिरवा
काहे का मैन मजीठ
काहे का सेयों धेरिया कउन कुंवरि
कच्चे दूध पिआय
पिअरी का सेयों हरदी का बिरवा
चुनरी का मैन मजीठ
धरम का सेयों धेरिया कवन कुंवरि
कच्चे दूध पिआय
खोरवन दुधवा कटोरवन पानी
आजी ओखी लीन्हें ठाढ़
एक नन्चू दुधवा पिया मोरी नातिन
फेर चौके मा जाव
तब नहि दुधवा पिआया मोरी आजी
जब रह्यों बारि कुंवारि
अब कैसे दुधवा पिओं मोरी आजी
ठाढ़ विदेशिया दुआर
खोरवन दुधवा कटोरवन पानी
माया ओखी लीन्हें ठाढ़
एक नन्चू दुधवा पिआ मोरी बेटी
तब चौके मा जाउ
तब नहि दुधवा पिआया मोरी माया
जब रह्यों बारि कुंवारि
अब कैसे दुधवा पिओं मोरी माया
जब ठाढ़ विदेशिया दुआर