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कितना कुछ / दुःख पतंग / रंजना जायसवाल

कितना कुछ रह गया
तुम्हारा मेरे पास
सारा का सारा ही शायद
जबकि खड़े हो तुम दूर
अलग व्यक्तित्व बने
अजनबी,निर्लिप्त
क्या कुछ भी शेष नहीं रहा
मेरा तुम्हारे पास
मैं तो इतना इतना रह गयी हूँ तुम्हारे पास कि
जरा भी नहीं बची हूँ
खुद के लिए।