कौन हुआ है हवा से रूबरू?
बोलो, कौन हुआ है हवा से रू-बरू?
न मैं और न तुम,
मगर जैसे ही पत्तियों की होती है सरसराहट,
होने लगती है गुजरती हवा की आहट
किसने देखा है हवा को?
न तुमने न मैंने,
मगर जब पेड़ हो जाते नतमस्तक,
बस, बहती ही रहती है हवा!
मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : सोनाली मिश्र