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की बे-दरदाँ संग यारी / बुल्ले शाह
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की बे-दरदाँ संग यारी। रोवण अक्खिआँ ज़ारो ज़ारी।
सानूँ गए बे-दरदी छड्ड के,
हिजरे<ref>जुदाई</ref> साँग सीने विच्च गड्ड के,
जिस्मों जिन्द नूँ लै गए कढ्ढ के,
एह गल्ल कर गए हैं सिआरी,
की बे-दरदाँ संग यारी।
बे-दरदाँ दा की भरवासा,
खौफ नहीं दिल अन्दर मासा,
चिड़िआँ मैत गवाराँ हासा,
मगरों हस्स हस्स ताड़ी मारी,
की बे-दरदाँ संग यारी।
आवण कैह गए फेर ना आए,
आवण दे सभ कौल भुलाए,
मैं भुल्ली भुल्ल नैण लगाए,
केहे मिले सानूँ ठग्ग बपारी,
की बे-दरदाँ संग यारी।
बुल्ले शाह इक्क सौदा कीता,
ना कुझ नफा ना टोटा लीता,
दरद दुःखाँ दी गठड़ी भारी
की बे-दरदाँ संग यारी। रोवण अक्खिआँ ज़ारो-ज़ारी।
शब्दार्थ
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