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कुछ बच्चे और कई बच्चे / हेमन्त कुकरेती
Kavita Kosh से
बिस्कुट जैसी होती है बच्चों की हँसी
और गुस्सा चाकलेट की तरह
उन्हें हम उनकी नहीं अपनी दुनिया में देखते हैं
और उनके बारे में फैसले करते हैं
कितना बड़ा अपराध है यह
सज़ा के नाम पर बच्चे हम से रूठ जाते हैं तो
हम माफ़ी नहीं माँगते वादे करते हैं
और अगले दिन पर टाल देते हैं अपनी हार
हमें पता है कि उनका गुस्सा घुल जाएगा थोड़ी देर में
तब तक उन्हें हँसता देखकर हम इत्मीनान से चाय पीएँगे
और बिल्कुल भूल जाएँगे कि
कई बच्चों के लिए रोटी पहेली की तरह है
और जीवित बच जाना आश्चर्य जैसा
सिर्फ़ शर्मिन्दा ही हुआ जा सकता है इस सच पर कि
सभी बच्चों की हँसी बिस्कुट जैसी नहीं होती
और गुस्सा चाकलेट की तरह....