Last modified on 6 मार्च 2017, at 12:45

कुत्ते तैत्थों उत्ते / बुल्ले शाह

रातीं जागें करें इबादत<ref>भक्ति</ref>,
रातीं जागण कुत्ते,
तैत्थों उत्ते!
भौंकण बंद ते मूल ना हुन्दे,
जा रूड़ी ते सुत्ते,
तैत्थों उत्ते!
खसम<ref>मालिक</ref> अपने दा दर ना छड्डदे,
भावें बज्जण जुत्ते
तैत्थों उत्ते!
बुल्ले शाह कोई रख<ref>दौलत</ref> विहाज लै,
नहीं ते बाज़ी लै गए कुत्ते,
तैत्थों उत्ते!

शब्दार्थ
<references/>