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केकरा से कहबै कौवनै सुनतै / छोटे लाल मंडल

केकरा सें कहवै कौवनें सुनतै,
हमरो वतिया विचारी के,
सांच कहों ते आंच आवै छै
सभ्भै बोलै छै तिरसी के।

कोय केकरौं सें कम्मी कैन्है
जे पथरो में ईस देखावै छै,
धरती रो पानी अकासो में फेकै,
सुरूजो रो पियास बुझावै छै।

मृत लोको में कहाँ छै पीतर
होकरौ भोजन पढ़ावे छै
गीता रामायन वांच वांचिके
स्वर्गो में सीढ़ी लगावै छै।

मांटी के पिंनड वनाय के देखो,
वकरा भैसा के छैपै छै,
देहो के रोगवा दूर कही के,
घर भरी भोग लगावै छै।

अंधविश्वासें नें जकड़ी लेलकै,
भय के भूत चढ़ावै छै,
वापें दादां जे करनें अैइलै,
सच्चा धरम ठहिरावै छै।