रामचंद्र हो रामचंद्र
तोरा केना केॅ नाव चढैयौं
एक्के टा धन-सम्पत ई छै
एकरा केना बिसरैयौं
गोड जे धरलोॅ तों पत्थर पर
पत्थर भेलै नारी
गोड मेॅ तोरोॅ बसलोॅ माया
डर लागै छै भारी
आबेॅ तोहीं बताबोॅ हमरा
केना केॅ साहस पैयौं
एक्के टा धन-सम्पत ई छै
एकरा केना बिसरैयौं
पहिलेॅ धोबौं गोड तोरोॅ हम
चरनामृत बनैभौं
फेरू ओकरा पिबी केॅ हम्मे
बात तोरोॅ पतियोंभौं
जों तों बोलोॅ चरनामृत लेॅ
हम्मे थाली लैयौं
एक्के टा धन-सम्पत ई छै
एकरा केना बिसरैयौं
रचनाकाल - १२ अक्टूबर 2007