भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कोंकाबेली / प्रयाग शुक्ल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

उगी है कोंकाबेली
फूली
पानी में--
फूलती थी जैसे बचपन में ।

पौधे ये और
फूल ये और
सुबह ये और

पर फूली है
कोंकाबेली
फूलती थी जैसे
मेरे बचपन के
इस
गाँव में !