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कोई हादसा / हरभजन सिंह / गगन गिल
Kavita Kosh से
इस सड़क पर कोई हादसा हो
मैं घर जाऊँ
बहुत देर से इस चौराहे पर
खड़ा कर रहा हूँ इन्तज़ार
शायद कुछ हो जाए
कहीं कोई ठीकरी नहीं टूटी
इस शहर के अजब बेमर्ज़ी लोग
बत्ती कहे तो रुक जाएँ
बत्ती कहे तो चल दें
थके-थके बह रहे बासी-बासी पानी
किस साज़िश ने सारा शहर लील लिया है ?
किसने मंत्रमुग्ध कर ली है चाल शहर की ?
अब तो इस शहर में कुछ भी हो नहीं सकता
किसी के माथे में नहीं जलती अपनी बत्ती
किसी की अपनी चाल नहीं है...
सोच रहा हूँ कुछ तो हो
कोई अचानक किसी कार के नीचे दब जाए
अचानक जगे माथे में रोशनी अवज्ञाकारी
मैं ही वहशी क्रोध में आकर
लाल हरी बत्ती खा जाऊँ
धुँधलके में से नव-रचना जागे
इस सड़क पर कोई हादसा हो
मैं घर जाऊँ ।
पंजाबी से अनुवाद : गगन गिल