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कोहरा हँस रहा है / बीना रानी गुप्ता
Kavita Kosh से
कोहरा नहीं छंटा
काम नही मिला
चूल्हा नहीं जला
रोटी नहीं पकी
भूख नहीं मिटी
रमुआ रो रहा है
सुनो, कोहरा हँस रहा है..
खांसी से अम्मां बेहाल
गठिया से नानी का बुरा हाल
रूआंसी पिंकी हाथ मल रही है
धूप की चाह प्रार्थना में ढल रही है
दमा का मरीज मर रहा है
सुनो, कोहरा हँस रहा है..
उमड़ पड़ा धुंध का सागर
रिक्त हुई वायु की गागर
मचाया ठिठुरन ने धमाल
तांडव मचा रहा काल
ड्राइवर को कुछ नहीं दिख रहा है
वाहन वाहन से भिड़ रहा है
मौत की कहानी लिख रहा है
सुनो! कोहरा हँस रहा है।