‘काँव-काँव’ कौए की सुन
मन करता है, सिर ले धुन।
‘कुहू-कुहू’ कोयल के बैन
सुनकर मिलता दिल को चैन।
[रचना: 21 अप्रैल 1996]
‘काँव-काँव’ कौए की सुन
मन करता है, सिर ले धुन।
‘कुहू-कुहू’ कोयल के बैन
सुनकर मिलता दिल को चैन।
[रचना: 21 अप्रैल 1996]