क्या करूं मैं बनमें गई घर होती। तो शामकू मनाई लेती॥ध्रु०॥
गोरी गोरी बईया हरी हरी चुडियां। झाला देके बुलालेती॥१॥
अपने शाम संग चौपट रमती। पासा डालके जीता लेती॥२॥
बडी बडी अखिया झीणा झीणा सुरमा। जोतसे जोत मिला लेती॥३॥
मीराबाई कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरनकमल लपटा लेती॥४॥