ज्योतिषी थे तुम
ज्योतिष तो पक्का था
जानते थे सब कुछ तुम
कल मेरे सामने
जंगल होगा जीवन का
रेत का समंदर होा
पहाड़ होंगे मुसीबतों के
हांेगे आंधी, तूफान
पथ न आसान होंगे
होंगे शूल और अंगार
मुझको अकेले ही
फलांगने होंगे।
प्रहारों से अपने
फौलाद बनाते थे
मुझ पर चलाते थे
अपने जहरीले तीर
जहर पिला कर तुम
चखाते रहे स्वाद ज़हर का
लैन्ज़ की मदद से
हाथों की लकीरों को
पढ़ डाला था तुमने
माथे के आईने पर
नियति के लेखों को भी
पढ़ लिया था तुमने
तुम क्या जानते थे
सब कुछ जानते थे?