गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Last modified on 9 जुलाई 2010, at 10:18
खतरा / लीलाधर जगूड़ी
चर्चा
हिन्दी/उर्दू
अंगिका
अवधी
गुजराती
नेपाली
भोजपुरी
मैथिली
राजस्थानी
हरियाणवी
अन्य भाषाएँ
लीलाधर जगूड़ी
»
चुनी हुई कविताएँ
»
Script
Devanagari
Roman
Gujarati
Gurmukhi
Bangla
Diacritic Roman
IPA
जनता के मन में जो जंगल है बिना पक्षियों का
उससे कुछ ही देर बाद
चीख़ की एक लहर फ़ैलने वाली है ।