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खबरों की दुनिया में / सदानंद सुमन

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खबरों की दुनिया में
कोई भी खबर
महज एक खबर होती है
चाहे जैसी भी हो
वह खबर

खबरों की दुनियां में
हर खबर एक जिंस है
बाज़ार की मांग के अनुसार
सजाई जाती है यहाँ
हर खबर

खबरों की दुनियां में
कोई मोल नहीं संवेदना का
तुम्हारी पीड़ाओं-यातनाओं की कथा
बना दी जाती है सनसनीखेज
जिसे ले-ले कर चटखारे
सुनते-सुनाते हैं लोग
और भूल जाते हैं फिर

खबरों की दुनियां में
छाये रहते भेड़िये
छायी रहती हैं
खूबसूरत जिस्मों की मलिकाएँ
छाये रहते हैं
सपनों की दुनिया के नकली राजकुमार
ताकि उन्हें दखो
और भूल जाओ अपनी पीड़ा
और भूल जाओ उस इरादे को भी
जो बनता जा रहा था खतरनाक
उनके तिलस्म के लिए!